जो विज्ञापन ला सके
आरक्षण करा सके रेल और हवाई यात्रा के लिए
पुलिस के झंझटों से निजात दिला सके
पार्टी बाज़ी और मुफ्त मौज मस्ती का आयोजन करा सके मालिकों के लिए
लिखने में क्या धरा है
लाला का मुनीम भी लिख लेता है
पत्रिकारिता विद्यालय यह सब क्यों नहीं सिखाते
नए पाठ्यक्रम में पुलिस की दलाली , नेताओं से सौदेबाजी और सरकारी विभागों से काम निकलना आदि शामिल करना चाहिए
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बहुत अच्छा लिखा है आपने. इस साहस के लिए आप बधाई के पात्र हैं.
ReplyDeleteसर आप ने सही लिखा है अव वो महौल नहीं रह...पत्रकारिता का जो पहले था अव मिशन नहीं कमीशन की पत्रकारिता है
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